इस पूरी परिघटना को राजनैतिक नजरिए से इसलिए भी समझना जरूरी है कि मोदी के ‘गुजरात माॅडल ' को विकास के मानक और प्रतीक के बतौर स्थापित किए जाने का मतलब भारतीय लोकतंत्र को टिकाए रखने वाले सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ धर्मनिरपेक्षता से समझौता कर के राज्य को अल्पसंख्यकों के जान-माल के रक्षक के बजाए उनके नस्लीय सफाए के औजार में तब्दील कर देने और इस मानवताविरोधी अपराध को, आवारा पँूजी के निवेश से बनने वाले विशेष आर्थिक क्षेत्रों जैसे ढाँचे खडे़ कर के, जायज ठहराने के तर्क को वैधता मिलना है।
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इस पूरी परिघटना को राजनैतिक नजरिए से इसलिए भी समझना जरूरी है कि मोदी के ‘ गुजरात माॅडल ' को विकास के मानक और प्रतीक के बतौर स्थापित किए जाने का मतलब भारतीय लोकतंत्र को टिकाए रखने वाले सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ धर्मनिरपेक्षता से समझौता कर के राज्य को अल्पसंख्यकों के जान-माल के रक्षक के बजाए उनके नस्लीय सफाए के औजार में तब्दील कर देने और इस मानवताविरोधी अपराध को, आवारा पँूजी के निवेश से बनने वाले विशेष आर्थिक क्षेत्रों जैसे ढाँचे खडे़ कर के, जायज ठहराने के तर्क को वैधता मिलना है।